भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह
}}
{{KKCatKavita}}
तुम्हारी चुप्पी पर
कोई सुबह उतर आती काश !
उतर आती पूरे चाँद की रात!फूलों का मौसम उतर आता!उतर आती ठंडी-ठंडी फुहार!
ख़ुद से बाहर निकलने की कोशिश करता मै
रचनाकाल : 1992, मसोढ़ा
</poem>
