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{{KKRachna
|रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह
|संग्रह=उन हाथों से परिचित हूँ मैं / शलभ श्रीराम सिंह
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तुम्हारी चुप्पी पर
कोई सुबह उतर आती काश !
उतर आती पूरे चाँद की रात!फूलों का मौसम उतर आता!उतर आती ठंडी-ठंडी फुहार!
ख़ुद से बाहर निकलने की कोशिश करता मै
रचनाकाल : 1992, मसोढ़ा
 
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि [[कुँअर रवीन्द्र]] के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
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