भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर |संग्रह=जाँ निसार अख़्तर-एक जव…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर
|संग्रह=जाँ निसार अख़्तर-एक जवान मौत / जाँ निसार अख़्तर
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं
जो इश्क़ में तालिब नहीं मतलूब रहे हैं
तूफ़ानों की आवाज़ तो आती नहीं लेकिन
लगता है सफ़ीने से कहीं डूब रहे हैं
उनको न पुकारों गमेदौरां के लक़ब से
जो दर्द किसी नाम से मंसूब रहे हैं
हम भी तेरी सूरत के परस्तार हैं लेकिन
कुछ और भी चेहरे हमें मरगूब रहे हैं
इस अहदे बसीरत में भी नक्क़ाद हमारे
हर एक बड़े नाम से मरऊब रहे हैं
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=जाँ निसार अख़्तर
|संग्रह=जाँ निसार अख़्तर-एक जवान मौत / जाँ निसार अख़्तर
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
वो लोग ही हर दौर में महबूब रहे हैं
जो इश्क़ में तालिब नहीं मतलूब रहे हैं
तूफ़ानों की आवाज़ तो आती नहीं लेकिन
लगता है सफ़ीने से कहीं डूब रहे हैं
उनको न पुकारों गमेदौरां के लक़ब से
जो दर्द किसी नाम से मंसूब रहे हैं
हम भी तेरी सूरत के परस्तार हैं लेकिन
कुछ और भी चेहरे हमें मरगूब रहे हैं
इस अहदे बसीरत में भी नक्क़ाद हमारे
हर एक बड़े नाम से मरऊब रहे हैं
</poem>