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18:25, 23 जनवरी 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रंजना जायसवाल
|संग्रह=मछलियाँ देखती हैं सपने / रंजना जायसवाल
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
कहते हैं वे
स्त्री के चरित्र
और पुरुष के
भाग्य का
पता नहीं होता
तो क्या
पुरुष के चरित्र
और स्त्री के
भाग्य का
होता है
कोई पता...।
</poem>