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<poem>
यह शहर
मुझे अच्छा लगता है
क्योंकि यहाँ तुम रहते हो
भले ही हमारे घरों के बीच
मीलों का फ़ासला है

भले ही तुम्हें देखे
गुज़र जाते हैं
बरसों - बरस

भले ही हमारे बीच खडी़ है
सैकड़ों दीवारें

भले ही यह शहर
हो गया है असुक्षित

फिर भी तुम्हारी उपस्थिति की सुगन्ध
महकाए रहती है
मेरे रात - दिन

और इसे छोड़ने की कल्पना से दुखता है मन...।
</poem>