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{{KKRachna
|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
}}
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भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ?
मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या है ?
राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
आम -जन की जान आफत , वजह क्या है ?
वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
खो गयी मर्दों की ताक़त , वजह क्या है ?
आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
कड़वी लगती है नसीहत , वजह क्या है ?
यूँ ग़ैर की करते तरफदारी ' प्रभात'-
क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?
<poem>
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|रचनाकार=रवीन्द्र प्रभात
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भूख-वहशी , भ्रम -इबादत वजह क्या है
हो गयी नंगी सियासत , वजह क्या है ?
मछलियों को श्वेत बगुलों की तरफ से -
मिल रही क्या खूब दावत , वजह क्या है ?
राजपथ पर लड़ रहे हैं भेडिये सब -
आम -जन की जान आफत , वजह क्या है ?
वीर योद्धाओं के पावन मुल्क में अब -
खो गयी मर्दों की ताक़त , वजह क्या है ?
आजकल बेटों को अपने बाप की भी -
कड़वी लगती है नसीहत , वजह क्या है ?
यूँ ग़ैर की करते तरफदारी ' प्रभात'-
क्यों नहीं अपनों की चाहत , वजह क्या है ?
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