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'''घर पर सभी कहते हैं'''

घर पर सभी कहते हैं<br />
तुम देर से उठने लगे हो

मैं आज भी छह बजे उठता हूँ<br />
लेकिन,<br />
लेटा रहता हूँ<br />
और, सोचता रहता हूँ<br />
तुम्हारे-अपने बारे में.

सभी कहते हैं<br />
तुम्हें क्या हो गया है<br />
पुकारने पर सुनते नहीं

अपने में ही-<br />
कभी मुस्कराहट<br />
कभी उदासी<br />
मैं नहीं जानता<br />
कि<br />
ऎसा क्यों होता है .

'''रचनाकाल :''' 22/नवम्बर/1987
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