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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
मैं कब से गोश -बर-आवाज़ हूँ पुकारो भी
ज़मीं पर यह सितारे कभी उतारो भी
मगर नदीम तुम इस बोझ को सहारो भी
</poem>
 
गोश-बर-आवाज़ = उम्मीद में, काकुल = लटें
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