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मैं कब से गोश बर-आवाज़ हूँ पुकारो भी / अहमद नदीम क़ासमी
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02:27, 23 फ़रवरी 2010
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गोश-बर-आवाज़ = उम्मीद में, काकुल = लटें
Sandeep Sethi
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