भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर' |संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथ…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
चुप रहौ ऊधौ पथ मथुरा कौ गहौ,
::कहौ न कहानी जो बिविध कहि जाए हौ ।
कहै रतनाकर न बूझिहैं बुझाएँ हम,
::करत उपाय बृथा भारी भरमाए हौ ॥
सरल स्वभाव मृदु जानि परौ ऊपर तैं,
::उर पर घाय करि लौन सौ लगाए हौ ।
रावरी सुधाई में भरि है कुटिलाई कूटि,
::बात की मिठाई मैं लुनाई लै ल्याए हौ ॥41॥
</poem>
{{KKRachna
|रचनाकार=जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
|संग्रह=उद्धव-शतक / जगन्नाथदास 'रत्नाकर'
}}
{{KKCatKavitt}}
<poem>
चुप रहौ ऊधौ पथ मथुरा कौ गहौ,
::कहौ न कहानी जो बिविध कहि जाए हौ ।
कहै रतनाकर न बूझिहैं बुझाएँ हम,
::करत उपाय बृथा भारी भरमाए हौ ॥
सरल स्वभाव मृदु जानि परौ ऊपर तैं,
::उर पर घाय करि लौन सौ लगाए हौ ।
रावरी सुधाई में भरि है कुटिलाई कूटि,
::बात की मिठाई मैं लुनाई लै ल्याए हौ ॥41॥
</poem>