भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
एक ख़्वाब हैं जहां में बिखर जाए हम तो क्या|
अब कौन मुंतज़िर <ref>इंतज़ार करने वाला</ref> है हमारे लिये वहाँ,
शाम आ गई है लौट के घर जाए हम तो क्या|
 
[मुंतज़िर=इंतज़ार करने वाला]
दिल की ख़लिश तो साथ रहेगी तमाम उम्र,
Delete, Mover, Uploader
894
edits