भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
691 bytes removed,
03:37, 26 फ़रवरी 2010
नी मेरा लाल न आया-शाव्वा
लाल गुपाल न आया-शाव्वा
चरखा चन्दन दा
शाव्वा चरखा चन्दन दा
चरखा कूकर देंदा-शाव्वा
कूकर लगी कलेजे-शाव्वा
इक मेरा दिल पया धडके-शाव्वा
दूजे कंगण छणके-शाव्वा
चरखा चन्दन दा
शाव्वा चरखा चन्दन दा
माँ मेरी ने चरखा दित्ता
विच सोने दीआं मेखां
माँ राणी मैनू याद पई आवे
जद चरखे वल वेखां
चरखा चन्दन दा
राती आयों न...