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[[Category:गीत]]
<poem>सूरज ज़रा आ पास आ 
आज सपनों की रोटी पकाएंगे हम
 अय आसमाँ ! तू बड़ा मेहरबाँमेहरबांआज तुझ को भी दावत खिलाएंगे हम!
चूल्हा है ठंडा पड़ा
 
और पेट में आग है
 गरमा-गरम रोटियाँ रोटीयाँ कितना हसीं ख़्वाब है!
आलू टमाटर का साग
 
इमली की चटनी बने
 
रोटी करारी सिके
 घी उस पे असली लगे !</poem>
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