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ऊधो कहौ सूधौ सौ सनेस पहिले तौ यह,
::प्यारे परदेश तैं कबै धौ पग पारिहैं ।
कहै रतनाकर तिहारी परि बातनि मैं,
::मीड़ि हम कबलौं करेजौ मन मारिहैं ॥
लाइ-लाइ पाती छाती कब लौं सिरेहैं हाय,
::धरि-धरि ध्यान धीर कब लगि धारिहैं ।
बैननि उचारिहैं उराहनौं सबै धों कबै,
::श्याम कौ सलौनो रूप नैननि निहारिहैं ॥35॥
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