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'''नन्द/भाभी की रुस मनाहट'''
<poem>
नन्द ते भाबो रल मिल बेठियाँ ते
करदियाँ कोल कलाप
जे मेरे घर लड़का होया नी नणदे देसा में फुलजडियाँ
वीरन दे घर लड़का जे होया
लोक वदइयां दे
लोक वदायियाँ लै जे बैठे वे राजे
भैण वदायियाँ दे
भैण वदायियाँ नहीं जे लैंदी वे लोको
मंगदीये फुलजडियाँ
फुलजडियाँ वडे शावां दे घर नी भैणे
साडे नहीं फुलजडियाँ
ओ गई ओ गई रुस वे गई ए भैणा
ओ गई ए अटकों पार
वीरन ने फुलजडियाँ दित्तियां वे लोको
आन्दिसू भैण मना
</poem>