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एक-एक क़तरे का मुझे देना पड़ा हिसाब<br>
ख़ून-ए-जिगर वदीअत, वदीअ़त-ए-मिज़गान-ए-यार <ref>प्रेमी के पलकों की धरोहर</ref> था<br><br>
अब मैं हूँ और मातम-ऐं-यक -शहर-ए-आरज़ू<ref>अभिलाषाओं रूपी महल के उजड़ जाने का शोक</ref><br>तोड़ा जो तू ने तूने आईना तिम्सालदार तिमसाल-दार<ref>चित्रमय</ref> था<br><br>
गलियों में मेरी न'श<ref>लाश </ref> को खेंचे खींचे फिरो कि मैं<br>जाँ दादजां-दादा-ए-हवा-ए-सर-ए-रहगुज़ार <ref>गली-2 घूमने-फिरने की इच्छा का पीड़ित</ref> था<br><br>
मौज-ए-सराब-ए-दश्त-ए-वफ़ा <ref>वफा के मरुस्थल की मरीचिका</ref> का न पूछ हाल<br>हर ज़र्रा मिस्ल-ए-जौहर-ए-तेग़ आबदार <ref>चमकदार</ref> था<br><br>
कम जानते थे हम भी ग़म-ए-इश्क़ को पर अब<br>
देखा तो कम हुए पे ग़म-ए-रोज़गार <ref>संसार-सम्बंधी गम़</ref> था<br><br>{{KKMeaning}}
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