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{{KKRachna
|रचनाकार=बोधिसत्व
|संग्रह= ख़त्म नही होती बात / बोधिसत्व
}}
{{KKCatKavita}}<Poempoem>
पिता
अब घर में कोई चिह्न नहीं है तुम्हारा
वो मैं हूँ... तुम्हारा
सबसे छोटा बेटा।
</poem>
पता नहीं क्यों लोग मुझे नहीं करते प्रवाहित
नहीं कर देते किसी को दान।
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