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जग के दुख दैन्य शयन पर / सुमित्रानंदन पंत
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05:56, 13 मई 2010
बस मृत्यु-शेष है जीवन!!
:वह स्वर्ण-भोर को ठहरी
:जग
एक
के
ज्योतित आँगन पर,
:तापसी विश्व की बाला
:पाने नव-जीवन का वर!
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