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Kavita Kosh से
कुछ तो इस दर्दभरे दिल को क़रार आ जाये
क्यों न फिर हमको हरेक फूल पे प्यार आ जाये!
हमने हर मोड़ पे आँखों को बिछा रक्खा है
जाने किस और ओर से सावन की फुहार आ जाये
हम न मानेंगे कभी दिल में भी उनके हैं गुलाब