भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKCatGhazal}}
<poem>
छोडिये जिक्र ज़िक्र उस जमाने ज़माने के,वो फ़साने हैं दिल दुखाने के |
एक कोशिश है भूल जाने की,
सौ वजूहात वज़ूहात याद आने के|
ऐसे जाना भी क्या यार जाना,
तोड़कर पुल गरीब खाने गरीबख़ाने के|
रामजी मुझको और दुःख दे दो
काम आयेंगे आएँगे गम भुलाने के |</poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,118
edits