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<poem>
रेप बड़की हुई मगर घर में
घुस गया है अजीब डर घरमें
बूढ़े माँ-बाप ‘गाँव’ लगते हैं
झुक गया है पिता का स्वर घर में
सबके चूल्हे हैं,यार,निट्टी मिट्टी के
व्यर्थ तू झाँकता है घर-घर में
</poem>
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