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नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=विजय वाते |संग्रह= ग़ज़ल / विजय वाते }} {{KKCatGhazal}} <poem> आओ देखे…
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|रचनाकार=विजय वाते
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आओ देखें हमने अब तक किस किस को क्या बाँटा
हमने कुछ दर्द बताए या बस सन्नाटा बाँटा

बाँट छूट कर रोटी सब्जी खाना जिसने सिखलाया
मान वो किसके हिस्से आई जब था दरवाज़ा बांटा

आग लगी थी शहर में जब जब गली मोहल्ले थे भूखे
तब हमने आगी ही बाटी या थोड़ा आता बाँटा

कुछ सपने घर में पलते थे कुछ आये डोली के संग
सास बहूँ ननदी भाभी नें क्यों घर का चूल्हा बाँटा

नदियाँ नाले, झील समंदर ताल तलैया का पानी
हमने बाँटा इन सब ने कब था अपना कुनबा बाँटा

</poem>