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वह राम है / रमेश कौशिक

No change in size, 17:24, 21 जून 2010
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<poem>गंध बन जो फूल को महका रहा
वह राम है
पंछियों के कंठ से जो गा रहा
बादलों से सिंधु तक जो बह रहा
वह राम है\
मौन रह कर जो सभी कुछ कह रहा
वह राम है।
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