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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …
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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
रात है रात बहुत रात बड़ी दूर तलक
सुबह होने में अभी देर हैं माना काफी
पर न ये नींद रहे नींद फकत नींद कहीं
ये बने ख्वाब की तफसील अंधेरों की शिकस्त
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|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
रात है रात बहुत रात बड़ी दूर तलक
सुबह होने में अभी देर हैं माना काफी
पर न ये नींद रहे नींद फकत नींद कहीं
ये बने ख्वाब की तफसील अंधेरों की शिकस्त