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राजकुमारी-1 / नीरज दइया

460 bytes added, 02:58, 30 जून 2010
नया पृष्ठ: <poem>वह जा रही थी अपने घर बैठ कर रिक्शा में लगी- राजकुमारी-सी ! मैंने …
<poem>वह जा रही थी
अपने घर
बैठ कर रिक्शा में
लगी- राजकुमारी-सी !


मैंने कुछ नहीं किया
मैं जल्दी में था ।
बस खुशी छ्लकी
अपने आप ।


उसने भी
देखा होगा जल्दी में,
मगर किसे-
मुझे या खुशी को ?
</poem>
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