भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
''' होने तक''' कई नाचीज़ बातों के होने तकयह अविलंबनीय बात रुकी रह सकती है,कई माँओं के प्रसव-पीड़ा होने तक यह मरणासन्न बच्चा गर्भ में जीवित रह सकता है,कई युगों के गुज़रने तक यह बेचैन क्षण किसी सुखद होनी पर टला रह सकता है,डाक्टरों के हड़ताल से लौटने तक यह अधमरा रोगी अपनी सांसें थामे रह सकता है,कई चेहरों पर से मुखौटा हटाने तकयह चेहरा असली रह सकता है,कई लाशों के चितासीन होने तकयह लाश अपनी बारी की प्रतीक्षा कर सकता है,कई फ़िज़ूल किताबों के प्रकाशित होने तकयह उम्दा लेखक अपनी पांडुलिपियाँ दीमक से बचाए रह सकता है,कई रातों के ढलने तक चाँद एक भयानक रात के खौफ से बचा रह सकता है.