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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …
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{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
रात नहीं कटती ? लम्बी यह बेहद लम्बी लगती है ?
इसी रात में दस-दस बारी मरना है जीना है
इसी रात में खोना-पाना-सोना-सीना है
जख्म इसी में फिर-फिर कितने खुलते जाने हैं
कभी मिले थे औचक जो सुख वे भी तो पाने हैं
पिता डरें मत, डरें नहीं, वरना मैं भी डर जाऊंगा
तीन दवाइयां, दो इंजेक्शन अभी मुझे लाने है
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|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>
रात नहीं कटती ? लम्बी यह बेहद लम्बी लगती है ?
इसी रात में दस-दस बारी मरना है जीना है
इसी रात में खोना-पाना-सोना-सीना है
जख्म इसी में फिर-फिर कितने खुलते जाने हैं
कभी मिले थे औचक जो सुख वे भी तो पाने हैं
पिता डरें मत, डरें नहीं, वरना मैं भी डर जाऊंगा
तीन दवाइयां, दो इंजेक्शन अभी मुझे लाने है
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