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|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
}}
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<poem>
पत्ता हिलता है
तो मेरी नींद में
जाग पड़ती हैं हज़ारों चिड़ियाँ
चौंक कर
पखों को समेटे
फिर सिमटकर
सो जाती हैं मेरे सपनों में
<poem>
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|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / गोबिन्द प्रसाद
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पत्ता हिलता है
तो मेरी नींद में
जाग पड़ती हैं हज़ारों चिड़ियाँ
चौंक कर
पखों को समेटे
फिर सिमटकर
सो जाती हैं मेरे सपनों में
<poem>