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कोऊ कलंकिनि भाखत है कहि
::::कामिनिहू कोऊ नाम धरैगो ।
त्रासत हैं घर के सिदरे सिगरे अब
::::बाहरीहू तो चवाव करैगो ।
दूतिन की इनकी उनकी
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