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गर छाप दे--ग़ज़ल / मनोज श्रीवास्तव
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08:51, 13 जुलाई 2010
कासाए-दिल होगा नज़र दो अश्क़ के इज़हार में.
स्मारकों में जो कैद हैं
जो
ये
रूहे-बुत आदर्श के
वो लाएंगे कैसे हमें इंसान के किरदार में.
Dr. Manoj Srivastav
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