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{{KKRachna
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
|संग्रह=
}}
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''' पत्थरों-सा दिल तेरा '''
पत्थरों-सा दिल तेरा
मोम-सा मत गल
मौत की मुखबिरी कर
ज़िन्दगी को छल
आदमी जो कहर है
बारूद का है फल
सत्संग, मज़लिस हो जहां
हैवानियत है बल
शहर में पैदा हुआ
हादसों में पल
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
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''' पत्थरों-सा दिल तेरा '''
पत्थरों-सा दिल तेरा
मोम-सा मत गल
मौत की मुखबिरी कर
ज़िन्दगी को छल
आदमी जो कहर है
बारूद का है फल
सत्संग, मज़लिस हो जहां
हैवानियत है बल
शहर में पैदा हुआ
हादसों में पल