भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
<poem>
नीरा! तुम लो दोपहर की स्वच्छता
लो रात की दूरियांदूरियाँ
तुम लो चन्दन-समीर
लो नदी किनारे की कुंआरी कुँआरी मिट्टी की िस्नग्ध स्निग्ध सरलता
हथेलियों पर नींबू के पत्तों की गंध
नीरा, तुम घुमाओ अपना चेहरा
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits