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सब के सब बीमार /रमेश कौशिक

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<poem>
सब-के सब बीमार
मरीज़ तो मरीज़
डाक्टर भी
इसलिए मदद कर नहीं सकते
एक-दूसरे की
लाचार |

सब-के-सब बीमार
कोई आँख से
कोई कान से
कोई तन से
कोई मन से|

दुनिया एक बहुत बड़ा अस्पताल
किन्तु कोई नहीं तीमारदार
सब-के-सब बीमार |
</poem>
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