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यूकेलिप्टिस/रमेश कौशिक

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|रचनाकार=रमेश कौशिक
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वृक्षों में तुम सबसे ऊँचे
कहते हैं ये भोले लोग|

गहराई में जड़े तुम्हारी
छिपी हुई जो
औरों के हिस्से का पानी
चपके-चुपके पी जाती हैं
नहीं जानते भोले लोग ?
</poem>
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