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आग में / सांवर दइया

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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= साँवर दइया |संग्रह=}}‎{{KKCatKavita‎}}<poemPoem>आकाश में
गिद्धों की तरह तिर रहे हैं
हवाई जहाजजहाज़-हैलीकॉप्टर 
आग में ओटी हुई बाटी
उथलना भूल जाती हैं
चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें
 धमाके......धमाके....धमाके...धमाके 
अब बाटी उथलने से क्या होगा ?
अब तो
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