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Kavita Kosh से
वहॉं राष्ट्र का नया रुप
वैयक्तिक भी कार्य तुम्हारा
तुम्हारी साँसों से जीवित है
और तुम्हारी आँखें आँखों से देखा करता है
और तुम्हारे चलने पर चलता रहता है
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