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गारंटी / अजित कुमार

304 bytes added, 06:21, 2 अगस्त 2010
वही पंख,
वही प्राण-रक्षा की गारंटी ।
 
लेकिन
पानी जहाँ गहरा,
बेहद गहरा हो-
दबाव के तले कोई भी दुर्ग
टिक न पाये...
 
वहाँ,
प्राणों की रक्षा का उपाय !
किससे पूछूँ ।
 
</poem>
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