भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सांस-सांस भर पिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है
 
अभी चुभे
सीत्कारती
आवाज़ों को
 
रात-रात भर सिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है
 
खोल मौन के
मन के इतने बड़े नगर में
कोलाहल भर लिया गया है
एक-एक क्षण जिया गया है </poem>
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,196
edits