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{{KKRachna}} |रचनाकार=सर्वत एम जमाल संग्रह= }} {{KKCatGazalKKCatGhazal}} <poem>
शोर तो यही था ना ! बदगुमान हैं चेहरे
यार पिछले मौसम में शोर भी था, मातम भी
आज क्या हुआ सर्वत, बेज़बान हैं चेहरे<poem/poem>