Changes

भीतर का दीया-एक / मुकेश मानस

613 bytes added, 11:37, 7 सितम्बर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मान…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
}}
{{KKCatKavita
}}
<poem>

एक अनन्त रेगिस्तान में
तपना पड़ता है

एक अथाह तिमिर सागर
लाँघना पड़ता है

एक पाषाणी सभ्यता में
पिसना पड़ता है

अगर इंसान भूल जाये
अपने भीतर का दीया जलाना
2008

<poem>
681
edits