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11:37, 7 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=मुकेश मानस
|संग्रह=काग़ज़ एक पेड़ है / मुकेश मानस
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<poem>
एक अनन्त रेगिस्तान में
तपना पड़ता है
एक अथाह तिमिर सागर
लाँघना पड़ता है
एक पाषाणी सभ्यता में
पिसना पड़ता है
अगर इंसान भूल जाये
अपने भीतर का दीया जलाना
2008
<poem>