भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

वह क्षण / गोबिन्द प्रसाद

550 bytes added, 07:14, 10 सितम्बर 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद
|संग्रह=कोई ऐसा शब्द दो / गोबिन्द प्रसाद
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>

जाते हुए
मैं देखता रहा
उसकी आँखों में
और वह सोचती रही
कि उन हाथों में ऐसा क्या है
-यूँ खिलते रहते हैं सपने में
जागरण की तरह!


<poem>
681
edits