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इब्तिदा-ऐए-इश्क़<ref>प्रेमारंभ</ref> है रोता है क्याआगे -आगे देखिये होता है क्या
क़ाफ़िले में सुबह के इक शोर है
यानी गाफ़िलग़ाफ़िल<ref>अनभिज्ञ</ref> हम चले सोता है क्या
सब्ज़<ref>हरी</ref> होती ही नहीं ये सरज़मीं
