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हम बहुत शर्मसार हो जाते।
तुम जो आते तो चन्द ही लम्हात, इश्क़ की यादगार हो जाते।
एक अपना तुम्हें बनाना था,
तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोस्त भी बेशुमार हो जाते।
आसरा तुम अगर हमें देते,