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~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~  सानेट सॉनेट और त्रिलोचन : काठी दोनों की है
एक । कठिन प्रकार में बंधी सत्य सरलता ।
नैसर्गिक स्वर में जब ऎसी ऐसी गूढ़ अगमता
स्वयं बोलती हो जो युग की अवास्तविकता
डूबी हुई खान की निधियां अपनी सरबस !
लाऊं ऊपर ! अपने अंदर ऎसा ऐसा ही प्रण
लिए हुए हैं शायद सानेट सॉनेट और त्रिलोचन ।
(रचनाकाल :1957)