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मर्क़जे-हर निगाह बन जाओ / राजेंद्र नाथ 'रहबर'
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14:47, 24 सितम्बर 2010
एक आशिक़ की चाह बन जाओ
एक दुनिया
तुम्हें सलाम करे
सच की आमाजगाह बन जाओ
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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