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Kavita Kosh से
हर तमन्ना किस कदर हालात से मज़बूर है
कुत्ते की दुम की तरह टेढा टेढ़ा रहा उस का मिज़ाज
तेरी हर कोशिश दिवाने देख थक कर चूर है