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|रचनाकार=गोपाल सिंह नेपाली
}}
{{KKCatKavita‎}}रोटियां गरीब <poem>रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही  
एक ही तो प्रश्न है रोटियों की पीर का
पर उसे भी आसरा आँसुओं के नीर का
राज है ग़रीब का ताज दानवीर का
तख़्त भी पलट गया कामना गई नहीं
रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही
पर उसे भी आसरा आंसुऒं के नीर का  राज है गरीब का ताज दानवीर का  तख्त भी पलट गया कामना गई नहीं  रोटियां गरीब की प्रार्थना बनी रही  चूम कर जिन्हें सदा क्रांतियां गुजर गई क्राँतियाँ गुज़र गईं गोद में लिये जिन्हें आंधिया आँधियाँ बिखर कई गईं पूछता गरीब ग़रीब वह रोटियां रोटियाँ किधर गई  देश भी तो बंट बँट गया वेदना बंटी बँटी नहीं  रोटियां गरीब रोटियाँ ग़रीब की प्रार्थना बनी रही</poem>
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