भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= विनोद स्वामी |संग्रह=}}[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]{{KKCatKavita}}<poemPoem>वैसे तोअपनी मर्जी मर्ज़ी के
मालिक हैं ये
पर हमारी नजरों नज़रों में
आकाश में उड़ते
ये बादल
छाते हैं हमारे।हमारे ।
</poem>