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नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जावेद अख़्तर |संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर }} [[Category:…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= जावेद अख़्तर
|संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर
}}
[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
एक पत्थर की अधूरी मूरत
चाँद तांबें के पुराने सिक्के
काली चांदी के अजब जेवर
और कई कांसे के टूटे बर्तन
एक सहरा में मिले
जेरें-जमी<ref>जमीं के निचे</ref>
लोग कहते है की सदियों पहले
आज सहारा है जहां
वहीँ एक सहर हुआ करता था
और मुझको ये ख्याल आता है
किसी तकरीब <ref>समारोह</ref>
किसी महफ़िल में
सामना तुझसे मेरा आज भी हो जाता है
एक लम्हे को
बस एक पल के लिए
जिस्म की आंच
उचटती-सी नजर
सुर्ख बिंदिया की दमक
सरसराहट तेरी मलबूस <ref>लिबास</ref> की
बालों की महक
बेख़याली में कभी
लम्स <ref>स्पर्श</ref> का नन्हा फूल
और फिर दूर तक वही सहरा
वही सहरा की जहां
कभी एक शहर हुआ करता था
</poem>
{{KK MEANING}}
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|रचनाकार= जावेद अख़्तर
|संग्रह= तरकश / जावेद अख़्तर
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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
एक पत्थर की अधूरी मूरत
चाँद तांबें के पुराने सिक्के
काली चांदी के अजब जेवर
और कई कांसे के टूटे बर्तन
एक सहरा में मिले
जेरें-जमी<ref>जमीं के निचे</ref>
लोग कहते है की सदियों पहले
आज सहारा है जहां
वहीँ एक सहर हुआ करता था
और मुझको ये ख्याल आता है
किसी तकरीब <ref>समारोह</ref>
किसी महफ़िल में
सामना तुझसे मेरा आज भी हो जाता है
एक लम्हे को
बस एक पल के लिए
जिस्म की आंच
उचटती-सी नजर
सुर्ख बिंदिया की दमक
सरसराहट तेरी मलबूस <ref>लिबास</ref> की
बालों की महक
बेख़याली में कभी
लम्स <ref>स्पर्श</ref> का नन्हा फूल
और फिर दूर तक वही सहरा
वही सहरा की जहां
कभी एक शहर हुआ करता था
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{{KK MEANING}}