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Kavita Kosh से
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देखो कितने अच्छे मेरे साथी हैंपेड़, किताबें, बच्चे मेरे साथी हैं।
निष्ठा का तो ये है हाल सियासत में अब हैरोज़ बदलते झण्डे मेरे सथी साथी थी हैं।
काम पड़े तब देखें आते हैं कितने
कहने को तो नब्बे मेरे साथी हैं।
अपने और पराए का अन्तर कैसासब अल्ला के बन्दे मेरे साथी हैं।
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