भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वृद्धा पेंशन / विजेता मुद्‍गलपुरी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

उठाबै छै वृद्धा-पेंशन अहिबतियो चूड़ी फोरी के

चूड़ी जेक्कर सिंगार छीकै, साजन जेक्कर आधार छीकै
खेती-पाती संसार छीकै, सब माल जाल सुख सार छीक
सिन्दूर पोछिके आबै छ पैसा ले दाँत निपोरी के
उठाबै छै वृद्धा पेंशन अहिबतियो चूड़ी फोरी के

पढ़ली-लिखली धोख दै ले अंगुठा-छाप लगाबै छै
पैसा वाली भी अपनो कंगली सन रूप बनाबै छै
बोलै नै छै सब जाने छै निमला के हक-चोरी के
उठाबै छै वृद्धा पेंशन अहिबतियो चूड़ी फोरी के

सधवा अप्पन नाम के पैहने विधवा शब्द लगाबै छै
अपनो शरीर से कंचन छै और दोनों जीव कमाबै छै
छै खुशी मनाबै पैसा खातिर वंश के इज्जत बोरी के
उठाबै छै वृद्धा पेंशन अहिबतियो चूड़ी फोरी के

असहाय पंगु विधवा कि ऐसें पेंशन पाबै छै?
जे-जे पहिने खर्च करै छै पेंशन उहे उठाबै छै
ऐसीना पेंशन भेटै छै विधवा-अन्धा-कोढ़ी के
उठाबै छै वृद्धा पेंशन अहिबतियो चूड़ी फोरी के

अन्धा अफसर के सुहागिन भी मसोमात सन सूझै छै
बीस बरस के युवक के अस्सी के लगभग बुझै छै
छै बंनरवाँट के जुग में जय जयकार भेल घुसखोरी के
उठाबै छै वृद्धा पेंशन अहिबतियो चूड़ी फोरी के